यहाँ मानव से पशु पक्षी तथा प्रकृति चहूँ ओर बस चारों ओर राधाकृष्ण राधाकृष्ण यहाँ मानव से पशु पक्षी तथा प्रकृति चहूँ ओर बस चारों ओर राधाकृष्ण राधाकृष्ण
तब डर जाएंगे जगत के, सर्वश्रेष्ठ ईश्वर और असुर। तब डर जाएंगे जगत के, सर्वश्रेष्ठ ईश्वर और असुर।
क्या हुआ अगर जेब हो तेरी तंग खुशियाँ देने से मिलती चल भरले नयी उमंग। क्या हुआ अगर जेब हो तेरी तंग खुशियाँ देने से मिलती चल भरले नयी उमंग।
आपस में हाथ में हाथ देकर चलो एक दूसरे को सब पकड़कर चलो। आपस में हाथ में हाथ देकर चलो एक दूसरे को सब पकड़कर चलो।
कब बनता है एक प्यारा सा गीत तुम्हारा और मेरा अपना। कब बनता है एक प्यारा सा गीत तुम्हारा और मेरा अपना।
फागुन आई मैं उसमें बेदाग हूं, आजा अब तो देख तेरे लिए बे रंग हूं। फागुन आई मैं उसमें बेदाग हूं, आजा अब तो देख तेरे लिए बे रंग हूं।